दोस्तों, आज के इस आर्टिकल के अंदर मैं आपको सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय और रचनाएं (Sumitranandan Pant Ka Jivan Parichay) के बारे में बताने वाला हूं, जिन्होंने अपने प्रारंभिक जीवन से ही बहुत सारी समस्याओं का सामना किया, परंतु यह झुके नहीं और उन्होंने हर मुसीबत का सामना करते हुए, अपने जीवन को संभाला और अपने जीवन में बहुत से कविताएं लिखी, इनकी कविताओं में हमेशा प्रेम की भावना ही दर्शाई गई है, इस लेखक ने बहुत से लोगों को भी प्रेम भाव रखने की सूचना दी,। जिन्होंने हिंदी साहित्य को बहुत ऐसी कविताएं प्रदान की, जो कि आज के किसी भी लेखक के द्वारा नहीं लिखी जा सकती।
इन्होंने खंड बोली का प्रयोग किया और अपनी कविताएं लिखी, इन्हें बचपन में ही इनकी मां ने छोड़ कर चली गई, तभी से ही इनके पिता ने इनकी मां की तरह ही इनकी पालन पोषण किया, यह अपने पिता का बहुत ज्यादा सम्मान करते थे, इन्होंने विभिन्न स्थानों से अपनी शिक्षा ग्रहण की, तो चलिए अब हम आपको इस लेखक की पूर्ण जानकारी देते हैं कि, इन्होंने कौन-कौन सी कविताएं लिखी और इनको भविष्य मैं कौन-कौन से पुरस्कार दिए गए, तो चलिए, आज के आर्टिकल की शुरुआत करते हैं और आपको इस लेखक की पूर्ण जानकारी देते हैं।
इस लेख में आप जानेगें
सुमित्रानंदन पंत की पूर्ण जीवन परिचय
नाम:- | सुमित्रानंदन पंत |
मूल नाम:- | गुसाई दत्त |
जन्म:- | 20 मई 1900 |
जन्म स्थान:- | कौसानी |
पिता का नाम:- | पंडित गंगादत्त |
माता का नाम:- | सरस्वती देवी |
प्रारंभिक शिक्षा:- | कौसानी गांव में |
उच्च शिक्षा:- | बनारस और इलाहाबाद |
उपाधियां:- | हित्य अकादमी पुरस्कार, सेवियत भूमि पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार, पद्मभूषण. |
मृत्यु:- | 28 दिसम्बर 1977 |
सुमित्रानंदन पंत का जन्म | Sumitranandan Pant Ka Janm
सुमित्रानंदन पंत का जन्म एक बहुत ही छोटे गांव कौसानी में 29 मई सन 1900 को हुआ था, जोकि अल्मोड़ा के पास स्थित है, इनके पिता का नाम पंडित गंगा दत्त था, यह एक पंडित के रूप में कार्य करते थे, इनकी माता का नाम सत्यवती देवी था, जब यह 6 साल के थे, तभी इनकी माता का देहांत हो गया, इनको बचपन से ही लिखने का बहुत ज्यादा शौक था, इसीलिए भविष्य में जाकर यह एक लेखक बने, इन्होंने अपने प्रारंभिक जीवन से ही बहुत सारी कविताएं लिखी, जो कि लोगों को बहुत ज्यादा रोमांचककारी लगती थी, इसीलिए उन्होंने लेखक का रास्ता अपनाया और आगे चलकर, अपना और अपने परिवार का नाम रोशन किया।
हिंदी साहित्य के अंदर इनको बहुत प्रमुख दर्जा दिया जाता है, क्योंकि इन्होंने हिंदी साहित्य को बहुत सारी कविताएं प्रदान की है, इनके लेख आज भी लोगों के द्वारा पढ़े जाते हैं और इनके लेखों से लोगों के अंदर प्रेम की भावना उत्पन्न होती है, इन्होंने अपने लेख के अंदर अपने सारे जीवन का सार बताया है, इन्होंने कई लेखों के अंदर अपनी पूर्ण जीवन कहानी का भी परिचय दिया है।
सुमित्रानंदन पंत की शिक्षा | Sumitranandan ki Education
सुमित्रानंदन पंत ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव कौसानी से ही प्राप्त की, इसके बाद अपनी उच्च शिक्षा का पहला चरण भी, इन्होंने गांव से ही प्राप्त किया, परंतु इसके बाद यह बनारस के क्वींस कॉलेज में चले गए, यहीं से ही इन्होंने कविताएं लिखना प्रारंभ किया और यहां पर इनका मेलन रविंद्र नाथ टैगोर और सरोजिनी नायडू से हुआ, इनकी कविताएं भी सुमित्रानंदन पढा करते थे और इन से प्रेरणा लेकर उन्होंने कॉलेज के कई समारोह में भी भाग लिया और अपनी कविताओं का प्रदर्शन किया, इसी अवधि के दौरान इन्होंने अपना नाम बदलकर सुमित्रानंदन पंत रखा, क्योंकि इनके पहले का नाम गुसाई दत्त था, जो कि इनको ज्यादा पसंद नहीं था।
तो इन्होंने जब कविताओं के जीवन में कदम रखा, तो अपना नाम बदल लिया, इसके बाद उन्होंने जीवन में पीछे मुड़कर नहीं देखा, बाद में इन्होंने सरस्वती पत्रिका के लिए भी कार्य किया, पर 1950 के अंदर इन्होंने “ऑल इंडिया रेडियो” के प्रकाशक के रूप में कार्य किया, यह समय उनके लिए बहुत अच्छा रहा, इस समय इन्होंने बहुत सारी कविताएं भी लिखी, इन्होंने कई अंग्रेजी कविताएं जोकि रोमांटिक अंदाज में लिखी गई थी, उनका भी बहुत ज्यादा अध्ययन किया, जो कि इनको बहुत ज्यादा अच्छी भी लगी थी।
सुमित्रानंदन पंत की विचारधारा
यदि हम सुमित्रानंदन पंत की विचारधारा की बात करें, तो यह सत्यम शिवम सुंदरम से प्रभावित थे, इनसे प्रभावित होते हुए भी, इन्होंने अपने आगे आने वाले जीवन में कई बदलाव किए, उन्होंने अपने जीवन के पहले चरण में तो प्रकृति से संबंधित कविताएं लिखी और उसके अंदर प्रकृति के विभिन्न रूपों को दर्शाया और उसकी सुंदरता का भी बखूबी वर्णन किया, दूसरे चरण में इन्होंने छायावाद का समर्थन किया, अपनी दूसरी चरण की कविताओं में इन्होंने छायावाद की विचारधारा को दर्शाया और यह बताया कि छायावाद में लोग किस प्रकार कार्य करते हैं।
फिर इनके जीवन का तीसरा चरण आता है, जिसके अंदर इन्होंने मानव कल्याण की भावनाओं को दर्शाया, जिसके अंदर यह पूर्व मान्यताओं को धिक्कारते हैं और यह कहते हैं कि, हमें पुरानी मान्यताओं को नहीं मानना चाहिए, अपने जीवन को आगे आने वाले समय के साथ बदलते रहना चाहिए, सुमित्रानंदन पंत जी ने अपनी कविताओं के अंदर बड़े ही प्रेम भाव का वर्णन किया है और लोगों को आपस में मिलजुल कर रहने की बात बताई है, इनकी सभी कविताओं में आपको प्रेम ही मिलेगा और इनकी कविताओं से लोगों के बीच में प्रेम की भावनाएं बढ़ेगी।
सुमित्रानंदन पंत के जीवन में आर्थिक संकट
जैसा कि, मैंने आपको बताया कि, सुमित्रानंदन पंत जी ने बचपन से ही बहुत ही सुंदर कविताएं लिखी, पर जब यह 6 वर्ष के थे तभी इनकी माता का देहांत हो गया, जिसके कारण इनके पिता के मन पर बहुत गहरा सदमा पड़ा, कुछ वर्षों के बाद इनके पिता कर्ज में डूब गए, जिसके कारण इनकी मृत्यु हो गई, अब सुमित्रानंदन पंत के परिवार में सिर्फ यह अकेले ही रह गए, कर्ज को उतारने के लिए इन्होंने अपने घर और जमीन को बेचना पड़ा, जिसके कारण इनके सामने एक बहुत बड़ा आर्थिक संकट आ गया, अब इनको अपने जीवन में रहन सहन करना भी कठिन हो गया
इन सभी परिस्थितियों से निकलने के लिए इन्होंने मार्क्सवाद का समर्थन किया और इनका रुजाव उस तरफ अधिक बढ़ गया, इसके बाद उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने का निश्चय किया और अपना संपूर्ण जीवन कविताएं लिखने में समर्पित कर दिया।
सुमित्रानंदन पंत का निधन | Death of Sumitranandan Pant
इन्होंने अपने जीवन के अंदर बहुत सारी कविताएं लिखी, जिन्होंने हिंदी साहित्य को एक नया रूप दिया, इन्होंने बचपन से ही कविताएं लिखना आरंभ कर दिया था, तो यदि हम इनकी कविताओं का संग्रह करें, तो यह बहुत ज्यादा होती है, इन्होंने अपने कॉलेज के कई समारोह में भी भाग लिया और अपनी कविताओं का प्रदर्शन किया, पर बहुत दुख की बात है कि, जब यह 77 वर्ष के थे, तब इनका देहांत हो गया, इनका देहांत 28 दिसंबर 1977 को हुआ था, यह एक बहुत ज्यादा काला दिन माना जाता है, क्योंकि इस दिन हिंदी साहित्य के इतने बड़े लेखक को खो दिया था।
सुमित्रानंदन पंत की प्रमुख कृतियां
अब हम आपको इनके कुछ कविता संग्रह और खंडकाव्य बताते हैं, यदि आप इन को किसी भी परीक्षा परिणाम में लिखेंगे तो यह कभी भी गलत नहीं होंगे जो कि इस प्रकार है:-
- पतझड़
- अवगुंठित
- मेघनाथ वध
- ज्योत्सना
- युगवाणी
- उत्तरा
- रजतशिखर
- शिल्पी
- पल्लव
- वीणा
- ग्रंथि
- गुंजन
- युगांत
- युगांतर
- स्वर्णकिरण
- स्वर्णधूलि
यह तो इनके जीवन में लिखी जाने वाली कुछ ही कविताएं हैं, यदि हम आपको इनके पूरे कविताओं का संग्रह बताएं, तो यह लगभग हजारों में चली जाती है, परंतु इनमें से कुछ मुख्य हमने आपको बता दी है।
पुरस्कार और सम्मान
सुमित्रानंदन पंत को अपने जीवन में बहुत सारे पुरस्कार मिले, जो कि इनको अपनी कविताएं और खंडकाव्य के लिए मिले थे, इनके पुरस्कारों और सामानों की संख्या भी बहुत बड़ी है, परंतु इनमें से कुछ बहुत ज्यादा प्रमुख पुरस्कार थे, जो कि बहुत ही कम लेखकों को मिले हैं, इन पुरस्कारों के नाम इस प्रकार है:-
- पद्म विभूषण (1961)
- ज्ञानपीठ (1968)
- साहित्य अकादमी
यह जो मैंने आपको ऊपर पुरस्कार बताए हैं, यह हिंदी साहित्य के अंदर बहुत ही कम लेखकों को मिले हैं, इनमें से सुमित्रानंदन पंत भी एक है, यह पुरस्कार उन लेख को मिलते हैं, जिन्होंने हिंदी साहित्य को बहुत कुछ प्रदान किया हो, उन्हीं में से एक सुमित्रानंदन पंत जी थे।
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Conclusion:-
आज के इस आर्टिकल के अंदर, मैंने आपको सुमित्रानंदन पंत के जीवन की सभी कहानियां बताइए और यह भी बताया कि, इन्होंने किस प्रकार विभिन्न संकटों का सामना करके, अपने जीवन मैं आगे बढ़े, यदि आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया है तो, इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें, कोई भी समस्या आने पर आप हमें कमेंट करके पूछ सकते हैं, इसे अपनी सोशल मीडिया साइट्स पर भी शेयर करना ना भूले, यदि आपको कोई भी अन्य जानकारी लेनी है तो, भी आप हमें कमेंट कर सकते हैं.
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